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अधूरे अल्फाज

 एक तेरा हाथ थाम साथ चलना अच्छा लगता है  हर पल हर वक्त तेरे एहसासों में वक्त बिताना अच्छा लगता है  कहते हैं गर खुदा मोहब्बत को तो हा मुझे तुझे अपना खुदा मानना अच्छा लगता है  बहुत सुकून सा मिलता है तेरे साथ वक्त बिताकर तेरा यूं बेवजह फिक्र जताना अच्छा लगता है  हां माना बचपना नहीं है मुझमें  पर तेरे सामने बचपना करना अच्छा लगता है  मेरे रोने पर तेरे आंखों में आंसू आना अच्छा लगता है तकलीफ गर मुझे हो तो दर्द मेरा  तुझे महसूस होना अच्छा लगता है  एक तेरा हाथ थाम साथ चलना अच्छा लगता है                                Written by                     Pari dixit

शायरी

चित्र
 जिंदगी के पन्नों पर लिख रहे हैं हम तुम्हें  यह मत समझना कि खास नहीं थे तुम  चले जाएंगे तेरी महफिल से तू थोड़ा सब्र तो रख हम जैसे लोग किसी पर बोझ नहीं बनते  हर शाम तुझ से जुड़ी रात होती है बस अब तुझ से जुड़ी कोई बात नहीं होती  देख तेरी भी क्या जिंदगानी है महफिल तेरी  पर हर जुबान पर सिर्फ मेरी ही कहानी है ख्वाइशें कुछ यूं थी कि जिंदगी में हासिल तो सब होगा पर उम्मीदें और भरोसा किसी पर नहीं होगा तुम्हें क्या लगा था तुम्हें भूलने की कोई वजह ना थी हमारे पास पल-पल आंसुओं को अल्फाजों में उतारा है हमने एक तुझे भुलाने से पहले                    Written by.             Pari dixit