शायरी

 जिंदगी के पन्नों पर लिख रहे हैं हम तुम्हें 

यह मत समझना कि खास नहीं थे तुम 


चले जाएंगे तेरी महफिल से तू थोड़ा सब्र तो रख

हम जैसे लोग किसी पर बोझ नहीं बनते 


हर शाम तुझ से जुड़ी रात होती है

बस अब तुझ से जुड़ी कोई बात नहीं होती 


देख तेरी भी क्या जिंदगानी है महफिल तेरी 

पर हर जुबान पर सिर्फ मेरी ही कहानी है


ख्वाइशें कुछ यूं थी कि जिंदगी में हासिल तो सब होगा

पर उम्मीदें और भरोसा किसी पर नहीं होगा


तुम्हें क्या लगा था तुम्हें भूलने की कोई

वजह ना थी हमारे पास

पल-पल आंसुओं को अल्फाजों में उतारा है हमने

एक तुझे भुलाने से पहले


          

        Written by.

            Pari dixit


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