एहसास
वो तेरा बिना वजह मुस्कुराना, हर पल दिल बेकरार करता है
कहां है तू और कैसी है, यह तो हमें नहीं पता पर हर पल।
तेरे होने का एहसास सा बना रहता है ।
लौट आओ अब वापस मन नहीं लगता हमारा तुम्हारे बिना ।
कुछ ज्यादा ही गिरती है ओश इन दिनों ,यह दिसंबर भी उसे याद करता है ।
पता नहीं कैसे इतनी रातें गुजारी तेरे बिना रातों को रो रो के।
अब हम कहे भी तो कैसे की ?
written by.
pari dixit
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
If you have an a doubt late me know