क्यों याद आती है हर पल तेरी

क्यों याद आती है, हर पल तेरी!
और क्यों प्यार हो जाता है!
हर बार तुझसे ही!
 याद तो आते हो ऐसे जैसे हो हर पल पास मेरे!
 खुशबू बनकर मेरी सांसों में!
 यूं तो मुलाकात नहीं हुई हमारी कभी!
 पर फिर भी हर पल साथ होने का एहसास हो तुम!
 याद आती है ऐसे तेरी!
 इस बार लौट कर आ जाओ!
 फिर तुमको ना जाने दूंगी!
 तुझे दिल में बसा लिया!
 अब पलकों में सजाना है!
 सांसो की हर एक खुशबू में तेरा ही तो अश्क समाया है!
 याद तेरी जब आती है, तो आंखें भर आती हैं!
 सोचा ना था कि तुझसे यू जुदाई होगी!
 तेरी याद तो आएगी हर पल!
 पर तुझसे ना मुलाकात होगी!
 इस दिल में बसा हैै तू ही तू!
 अब कोई और समा ना पाएगा!
 मेरे जितना प्यार तुझे अब कोई ना कभी कर पाएगा!
 जाना था तुझको मगर, ऐसे ना कभी यह सोचा था!
 प्यार तो था तू ही हर पल फिर क्योंं तुझे किसी और का होना था!
 रहूंगी तुझ में मैं भी कहीं ना कहीं हरदम!
 भुलाने की तुम कोशिश करो पर वह भी ना पूरी होगी!
 तेरा मुझसे रिश्ता है ऐसा जो किसी और से ना हो पाएगा!
 कहने के लिए प्यार वो तेरा होगा;,
 मगर दिल में सिर्फ मैं तेरे रहूंगी!
तेरेनाम से धड़कता है यह दिल!
 फिर तेरा दिल किसी और के नाम से कैसेेे धड़क रहा होगा!
 क्यों याद आती है, हर पल तेरी खुद पर ना सही मगर!
 अपनी यादों पर तो हक देना! 


Written By.
PARI DIXIT

                                                 

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